
आज का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जा रहा है, क्योंकि गंगा दशहरा और गायत्री जयंती दोनों पर्व एक साथ हस्त नक्षत्र व सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाए जा रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह योग अत्यंत दुर्लभ होता है और इस दिन किया गया पुण्य कार्य कई गुना फल देता है।

गंगा दशहरा के दिन माँ गंगा के पृथ्वी पर अवतरण की मान्यता है। लोग गंगा स्नान कर पापों से मुक्ति की कामना करते हैं। वहीं, गायत्री जयंती के अवसर पर माँ गायत्री की उपासना कर विद्या, बुद्धि और आध्यात्मिक बल की प्राप्ति का संकल्प लिया जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आज के दिन किया गया दान—चाहे अन्न, वस्त्र, जल, या धन—विशेष फलदायक होता है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है। श्रद्धालु भक्त मंदिरों में पूजा-अर्चना कर, हवन और मंत्रोच्चार के माध्यम से अपने जीवन को सात्विक ऊर्जा से भरने का प्रयास कर रहे हैं।
गंगा दशहरा को विस्तार पूर्वक जानिए
गंगा दशहरा एक प्रमुख हिंदू पर्व है, जो माँ गंगा के पृथ्वी पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है। यह पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन राजा भागीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर माँ गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं ताकि उनके पूर्वजों को मोक्ष मिल सके।
गंगा दशहरा का महत्व
- इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के दश प्रकार के पापों का नाश होता है — इसी कारण इसे ‘दशहरा’ कहा गया है।
- गंगा जल से स्नान करने पर शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है।
- इस दिन दान-पुण्य, हवन, जप, और गंगा आरती का विशेष महत्व होता है।
गंगा दशहरा कैसे मनाते हैं
- श्रद्धालु सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करते हैं।
- गंगाजी की पूजा, फूल, दीपक और गंगाजल से की जाती है।
- दस प्रकार के फल, अन्न, जल, वस्त्र आदि का दान किया जाता है।
- लोग अपने पितरों के मोक्ष के लिए प्रार्थना करते हैं।
गायत्री जयंती को विस्तार पूर्वक जानिए
गायत्री जयंती हिंदू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जिसे माँ गायत्री के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, और इसे आध्यात्मिक ज्ञान, शुद्ध विचार और ऊर्जा के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
गायत्री माता कौन हैं?
माँ गायत्री को वेदों की जननी और शक्ति का रूप माना जाता है। वह ब्रह्मा जी की शक्ति हैं और उन्हें पंचमुखी देवी के रूप में चित्रित किया जाता है। गायत्री मंत्र, जो सबसे शक्तिशाली वैदिक मंत्रों में से एक है, इन्हीं की स्तुति है।
गायत्री मंत्र:
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥
गायत्री जयंती का महत्व:
- इस दिन गायत्री मंत्र का जप करने से व्यक्ति को बुद्धि, ज्ञान, और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।
- यह दिन आत्मशुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है।
- यह यज्ञ, ध्यान, और उपासना का विशेष पर्व है, जो सद्बुद्धि, सत्य और धर्म की ओर प्रेरित करता है।
कैसे मनाते हैं गायत्री जयंती:
- प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनते हैं।
- माँ गायत्री की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप जलाकर पूजा की जाती है।
- 108 बार गायत्री मंत्र का जप किया जाता है।
- कुछ लोग यज्ञ या हवन भी करते हैं।
- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और ज्ञान सामग्री का दान किया जाता है।