भोपाल। मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग में विरोध अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है। 26 नवंबर 2025 को जारी उस आदेश के विरोध में—जिसमें राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गणेश जायसवाल की विभाग में पोस्टिंग की गई है—प्रदेशभर के जनसंपर्क अधिकारी और कर्मचारी पूर्ण कलम व काम बंद आंदोलन पर चले गए हैं।
विभाग का कामकाज ठप
मुख्यालय, संभाग और जिला स्तर पर सभी शाखाओं में फाइल मूवमेंट, प्रेस नोट, कवरेज, फोटो रिलीज सहित नियमित कार्य पूरी तरह रुक गए हैं। विभागीय कर्मचारियों का कहना है कि यह आदेश विभागीय संरचना, अधिकार-संतुलन और कार्य प्रवाह को प्रभावित करता है, इसलिए इसका तत्काल निरस्तीकरण आवश्यक है।

सबसे बड़ा असर: मुख्यमंत्री कटिंग सेक्शन बंद
विरोध का सबसे गंभीर पहलू यह है कि आज से मुख्यमंत्री और मंत्रियों की समाचार कटिंग भी विभाग जारी नहीं करेगा। यह वही सेक्शन है जिसके जरिए सरकार की छवि, मीडिया कवरेज और पब्लिक इमेज मैनेजमेंट की निगरानी की जाती है।
अधिकारियों के अनुसार, “यदि सरकार ने शीघ्र निर्णय नहीं लिया, तो इसका सीधा असर मुख्यमंत्री की इमेज मैनेजमेंट और मीडिया कम्युनिकेशन पर पड़ेगा।”
2020 वाली स्थिति दोबारा
जनसंपर्क विभाग में इससे पहले 2020 में भी हड़ताल हो चुकी है। वर्तमान हालात एक बार फिर उस स्तर के बड़े संकट की स्थिति पैदा कर रहे हैं। विभागीय कर्मचारी इस बार पूरी एकजुटता के साथ आंदोलन में शामिल हैं और चेतावनी दे चुके हैं कि निर्णय में देरी शासन को सीधे मीडिया स्ट्रैटेजी के मोर्चे पर नुकसान पहुँचा सकती है।
सरकार के लिए बढ़ी चुनौती
विभाग का समाचार उत्पादन ठप होने का अर्थ है कि सरकार की छवि गढ़ने और मीडिया संदेशों को नियंत्रित करने वाला मुख्य तंत्र लगभग बंद हो गया है। इससे कम्युनिकेशन आउटपुट और मीडिया समन्वय पर भारी दबाव बन गया है।
पुनर्विचार की मांग
अधिकारी–कर्मचारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि कमिश्नर, अतिरिक्त मुख्य सचिव (जनसंपर्क) और मुख्यमंत्री कार्यालय को इस विवादित निर्णय की समीक्षा करनी होगी और विभाग की समस्याओं का समाधान निकालना होगा, अन्यथा आंदोलन और तेज हो सकता है।