
मध्यप्रदेश के तत्कालीन मंत्री कुंवर विजय शाह मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दर्ज FIR पर सवाल उठाते हुए पुलिस को इसे रिप्रोड्यूस करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने FIR के पैराग्राफ 12 को लेकर सवाल खड़े किए हैं। हाई कोर्ट के अनुसार कहा गया है कि यदि इस FIR को चुनौती दी जाए तो यह आसानी से रद्द हो सकती है।

हाई कोर्ट के अनुसार
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में
तत्कालीन मंत्री विजय शाह के मामले में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि अदालत के आदेश के अनुसार FIR दर्ज कर ली गई है। यह अदालत BNS की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई है। FIR को देखने के बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने इसकी ड्राफ्टिंग पर ऐतराज जताया। न्यायाधीश ने कहा कि जिस तरीके से यह प्राथमिकी ड्राफ्ट कर दर्ज की गई है यदि इसे चुनौती दी जाए तो आसानी से रद्द किया जा सकता है।
FIR के पैराग्राफ 12 पर जताया ऐतराज
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने FIR के पैराग्राफ 12 का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें जिन धाराओं की बात कोर्ट द्वारा की गई है उनके अनुसार एक्शन ऑफ सस्पेक्ट की क्लिएरिटी बिल्कुल भी नहीं है। इसमें सस्पेक्ट द्वारा जो भी कृत्य किया गया इसका जिक्र भी नहीं है। यह प्राथमिक अदालत के विश्वास पर खरी नहीं उतरती है और इसीलिए इसमें सुधार जाना चाहिए ।
हाई कोर्ट करेगा मामले की मॉनिटरिंग
FIR की ड्राफ्टिंग को देखते हुए High Court ने अब इस मामले के इन्वेस्टिगेशन में खुद की मॉनिटरिंग की बात भी कही है। हाई कोर्ट का कहना है कि वह ना ही इन्वेस्टिगेशन में और ना ही इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी के कार्य में हस्तक्षेप करेंगे लेकिन अब मामले पर निगरानी रखेंगे।